हसिबा खेलिबा धरिबा ध्यानम्-(प्रवचन-01)

हसिबा खेलिबा धरिबा ध्यानम्-ओशो
पहला प्रवचन-मेडिसिन और मेडिटेशन

मेरे प्रिय आत्मन्!

मनुष्य एक बीमारी है। बीमारियां तो मनुष्य पर आती हैं, लेकिन मनुष्य खुद भी एक बीमारी है। मैन इ.ज ए डिस-ई.ज। यही उसकी तकलीफ है, यही उसकी खूबी भी। यही उसका सौभाग्य है, यही उसका दुर्भाग्य भी। जिस अर्थों में मनुष्य एक परेशानी, एक चिंता, एक तनाव, एक बीमारी, एक रोग है, उस अर्थों में पृथ्वी पर कोई दूसरा पशु नहीं है। वही रोग मनुष्य को सारा विकास दिया है। क्योंकि रोग का मतलब यह है कि हम जहां हैं, वहीं राजी नहीं हो सकते। हम जो हैं, वही होने से राजी नहीं हो सकते। वह रोग ही मनुष्य की गति बना, रेस्टलेसनेस बना। लेकिन वही उसका दुर्भाग्य भी है, क्योंकि वह बेचैन है, परेशान है, अशांत है, दुखी है, पीड़ित है।