शूून्य की किताब–(Hsin Hsin Ming)-प्रवचन-08

सूत्र:

 गति को स्थिरता और स्थिरता को गतिमय समझो,

और गति और स्थिरता की दशा दोनों विलीन हो जाती हैं।
जब द्वैत नहीं रहता, तो अद्वैत भी नहीं रह सकता।

इस परम अंत की अवस्था पर कोई नियम,

या कोई व्याख्या लागू नहीं होती।

मार्ग के अनुरूप हो चुके अखंड मन के लिए

सभी आत्म- केंद्रित प्रयास समाप्त हो जा