शूून्य की किताब–(Hsin Hsin Ming)-प्रवचन-06
इस सूत्र में अनेक सुंदर बातें हैं। और सत्य के खोजी के लिए सुंदर ही नहीं बल्कि मूलभूत और अनिवार्य भी- क्योंकि सोसान कवि नहीं है वह द्रष्टा है। जो भी वह कहता है वह अनंत का काव्य है लेकिन बात वह नहीं है। जब भी कोई बुद्धपुरुष बोलता है, वह जो भी बोलता है वह काव्य, एक सुंदर काव्य है जो कुछ भी उससे प्रस्फुटित होता है उसमें उसकी ही प्रतिध्वनि होती है उसे साथ लेकर आता है उसकी ही सुगंध होती है। लेकिन वह इतनी अर्थपूर्ण बात नहीं है। उसके काव्य में मत खो जाना, क्योंकि काव्य साकार का है और सत्य निराकार है। सोसान जिस ढंग से बातें कहता है वह सुंदर और काव्यमय है लेकिन याद रहे, उसके काव्य में ही मत खो जाना। उपनिषदों के गीता के जीसस के वचनों के काव्य में मत खो जाना! रूप अपने में सुंदर है, लेकिन वह असली बात नहीं है। पात्र में निहित वास्तविकता को समझो पात्र को नहीं।
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