शूून्य की किताब–(Hsin Hsin Ming)-प्रवचन-10
सूत्र:
यहां शून्यता? कहा शून्यता
लेकिन असीम ब्रह्मांड सदा तुम्हारी आंखों के सामने रहता है
असीम रूप से बड़ा, असीम रूप से छोटा;
कोई भेद नहीं है
क्योंकि सभी परिभाषाएं तिरोहित हो गई हैं
और कोई सीमाएं दिखाई नहीं देतीं।
होने और न होने के साथ भी ऐसा है।
यहां शून्यता? कहा शून्यता
लेकिन असीम ब्रह्मांड सदा तुम्हारी आंखों के सामने रहता है
असीम रूप से बड़ा, असीम रूप से छोटा;
कोई भेद नहीं है
क्योंकि सभी परिभाषाएं तिरोहित हो गई हैं
और कोई सीमाएं दिखाई नहीं देतीं।
होने और न होने के साथ भी ऐसा है।
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