मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-प्रवचन-06

केवल एक ही चमत्कार है, जो असंभव जैसा है और वह है बस सहज साधारण बनकर रहना। मन की कामना होती है- असाधारण बनना। अहंकार, पहचान बनाने के लिए प्यास और भूखा रहता है। अहंकार का भोजन है पहचान, लोग उसे जानें कि तुम कुछ हो। कोई अपने इस स्वप्न को धन द्वारा पूरा करता है, कोई दूसरा इस सपने को सत्ता, शक्ति और राजनीति के द्वारा और कोई अन्य इसे चमत्कारों और चालबाजियों द्वारा पूरा करता है, लेकिन स्वप्न वहीं-का-वहीं का रहता है। मैं अपने आपको कुछ नहीं होना बरदाश्त नहीं कर सकता और चमत्कार यही है, तब तुम अपने को कुछ नहीं होना स्वीकार कर लेते हो, जब तुम ठीक वैसे ही साधारण हो जाते हो, जैसे कि दूसरे हैं। जब तुम किसी पहचान की मांग नहीं करते, जब तुम यों रहते हो जैसे तुम हो ही नहीं।