मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-ओशो
झेन बोध कथाएं-( The bird on the wing)-ओशो
मनुष्य होने की कला--(The bird on the wing)-ओशो की बोली गई झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)
इस पुस्तक से:
ज़ेन सदगुरू हाकुई के निकट आगर एक समुराई योद्धा ने पूछा—‘क्या यहां स्वर्ग और नर्क जैसी कुछ चीज है?’
हाकुई ने पूछा: ‘तुम कौन हो?’
उस योद्धा न उत्तर दिया-‘मैं सम्राट की सुरक्षा में लगा समुराई योद्धाओं का प्रधान हूं।’
हाकुई ने कहा: ‘तुम और समुराई? अपने चेहरे से तो तुम एक भिखारी अधिक लगते हो।’
मनुष्य होने की कला--(The bird on the wing)-ओशो की बोली गई झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)
इस पुस्तक से:
ज़ेन सदगुरू हाकुई के निकट आगर एक समुराई योद्धा ने पूछा—‘क्या यहां स्वर्ग और नर्क जैसी कुछ चीज है?’
हाकुई ने पूछा: ‘तुम कौन हो?’
उस योद्धा न उत्तर दिया-‘मैं सम्राट की सुरक्षा में लगा समुराई योद्धाओं का प्रधान हूं।’
हाकुई ने कहा: ‘तुम और समुराई? अपने चेहरे से तो तुम एक भिखारी अधिक लगते हो।’
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