मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-प्रवचन-02

न मन न सत्य-(प्रवचन-दूसरा) 
झेन बोध कथाएं-( A bird on the wing) 

मनुष्य होने की कला--(A bird on the wing) "Roots and Wings" - 10-06-74 to 20-06-74 ओशो द्वारा दिए गये ग्यारह अमृत प्रवचन जो पूना के बुद्धा हाल में दिए गये थे।  उन झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)

कथा:
डोको नाम के नए साधक ने सदगुरु के निकट आकर पूछा-
''किस चित्त-दशा में मुझे सत्य की खोज करनी चाहिए?''
सदगुरू ने उत्तर दिया- '' वहां मन है ही नहीं, इसलिए तुम उसे
किसी भी दशा में नहीं रख सकते और न वहां कोई सत्य है? इसलिए
तुम उसे खोज नहीं सकते ''
डोको ने कहा- '' यदि वहां न कोई मन है और न कोई सत्य फिर
यह सभी शिक्षार्थी रोज आपके सामने क्यों सीखने के लिए आते हैं
सदगुरू ने चारों ओर देखा ओर कहा- '' में तो यहां किसी को भी
नहीं देख रहा।  ''
पूछने वाले ने अगला प्रश्न क्रिया- '' तब आप कौन है? जो शिक्षा
दे रहे है?''
सदगुरू ने उत्तर दिया- '' मेरे पास कोई जिह्वा ही नहीं फिर मैं
कैसे शिक्षा दे सकता हूं?''
तब डोको ने उदास होकर कहा- '' मैं आपका न तो अनुसरण
कर सकता हूं और न आप करे समझ सकता हूं ''
झेन सदगुरु ने कहा- '' मैं स्वयं अपने आपको नहीं समझ पाता।  ''