मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-प्रवचन-01

कथा:
 जपानी सदगुरु 'नानहन ने श्रौताओ से दर्शन शस्त्र के एक प्रोफेसर का परिचय कराया और तब अतिथि गृह के प्याले में वह उनके लिए चाय उड़ेलते ही गए।
भरे प्याले में छलकती चाय को देख कर प्रोफेसर अधिक देर अपने करे रोक न सके। उन्होंने कहा- '' कृपया रुकिए प्याला पूरा भर चुका है। उसमें अब और चाय नहीं आ सकती।''
नानइन ने कहा- ''इस प्याले की तरह आप भी अपने अनुमानों और निर्णयों से भरे हुए हैं जब तक पहले आप अपने प्याले को खाली न कर लें, मैं झेन की ओर संकेत कैसे कर सकता हूं?''

तुम नानइन से भी अधिक खतरनाक व्यक्ति के पास आ गए हो, क्योंकि प्याले को खाली करने से ही काम चलने वाला नहीं, प्याले को पूरी तरह तोड़ ही देना होगा। खाली होकर भी, यदि तुम उपस्थित हो, तब भी भरे हुए ही हो।