मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-प्रवचन-03

स्वर्ग और नर्क के द्वार-(प्रवचन-तीसरा)
झेन बोध कथाएं-( A bird on the wing) 

मनुष्य होने की कला--(A bird on the wing) "Roots and Wings" - ।0-06-74 to 20-06-74 ओशो द्वारा दिए गये ग्यारह अमृत प्रवचन जो पूना के बुद्धा हाल में दिए गये थे।  उन झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)

कथा:

झेन सद्‌गुरू हाकुई के निकट आकार समुराई योद्धा रे पूछा-

‘‘क्या वहां स्वर्ग और नर्क जैसी कुछ चीज है? ‘‘

हाकुर्ड़ ने पूछा- '' तुम कौन हो? ''

उस योद्धा ने उत्तर दिया- '' मैं सम्राट की सुरक्षा में लगा समुरार्ड़

योद्धाओं का प्रधान हूं। ''

हाकुई ने कहा- '' तुम और समुराई? अपने चेहरे से तो तुम एक

भिखारी अधिक लगते हो? ''

यह सुनकर वह योद्धा इतना अधिक क्रोधित हो उठा कि उसने

अपनी तलवार म्यान से बाहर निकाल ली।

उसके सामने शांत खड़े हुए हकुई ने कह?- '' य