सहज सुदर्शन

Osho Hindi speech audio mp3 Download,Osho Audio mp3 free Download, Osho discourses in Hindi Download,Osho world AudioOsho Quotes in Hindi, Osho Quotes


कृष्ण का जो चक्र है, उसको नाम दिया है सुदर्शन का। मृत्यु का वह वाहक है और नाम सुदर्शन का है। मृत्यु देखने में सुंदर नहीं होती, न सुदर्शन होती है। लेकिन कृष्ण के हाथ में मृत्यु भी सुदर्शन बन जाती है। उतना ही अर्थ है। हम एटम बम को सुदर्शन नाम नहीं दे सकते। एटम जैसा ही संघातक है वह। अचूक है उसकी चोट। मौत उसकी निश्र्चित है उससे। वह छूटता है तो बस मार कर ही लौटता है। मृत्यु जहां बिलकुल निश्र्चित हो, वहां भी हम उस मृत्यु के शस्त्र को सुदर्शन कहेंगे? लेकिन कहा तो है। असल में कृष्ण जैसे आदमी के हाथ में मृत्यु भी सुदर्शन हो जाती है। हिटलर जैसे आदमी के हाथ में फूल भी सुदर्शन नहीं रह जाता है। सवाल यह नहीं है कि क्या है आपके हाथ में, सवाल सदा यही है कि हाथ किसका है। कृष्ण के हाथ से मरना भी आनंदपूर्ण हो सकता है। और उस युद्ध के स्थल पर खड़े हुए मित्र और विपक्षी भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि उनके हाथ से मरना आनंदपूर्ण हो सकता है। वह भी सौभाग्य का क्षण हो सकता है। इसलिए उनके शस्त्र को भी नाम जो देते हैं हम, वह सुदर्शन का नाम दिया है।

एक क्षण आता है युद्ध का, वह सुदर्शन हाथ में लेकर युद्ध में कूद पड़ते हैं। यह उनके स्पांटेनियस, सहज होने का प्रतीक है। ऐसा आदमी क्षण में जीता है, मोमेंट टु मोमेंट। ऐसा आदमी पिछले क्षण से बंधा हुआ नहीं होता। अगर ठीक से समझें तो ऐसे आदमी की कोई प्रॉमिस नहीं होती। संभवतः जैस्पर्स ने आदमी की परिभाषा की है--बहुत परिभाषाएं आदमी की की जा सकती हैं। कोई कहता है, मैन इ़ज ए रेशनल बीइंग, मनुष्य बुद्धिमान प्राणी है। जैस्पर्स ने जो परिभाषा की है वह है, मैन इ़ज ए प्रॉमिसिंग एनिमल। आदमी जो है, वह वचन देने वाला प्राणी है। कृष्ण आदमी नहीं हैं। यह वचन देता नहीं।

Comments

Popular Posts