निर-अहंकारी


अहंकार से भरे हुए इस जगत में कोई व्यक्ति निर-अहंकारी होकर सफल हो सकता है? निर-अहंकार सफलता की मांग नहीं करता। अहंकार सफलता की मांग करता है। निर-अहंकार सफलता की मांग ही नहीं करता। सफलता का मतलब क्या है? सफलता का मतलब है कि मैं दूसरों से आगे। सफलता का मतलब है कि क्या मैं दूसरों को असफल कर सकूंगा? सफलता का मतलब है, क्या मैं दूसरों को पीछे छोड़कर उनके आगे खड़ा हो सकूंगा? सफलता का अर्थ है, महत्वाकांक्षा, एंबीशन। ये सब तो अहंकार के लक्षण हैं। और अहंकार का सबसे बड़ा लक्षण है चित की रुग्णता। अहंकार कहता है कि मुझे आगे खड़े होना है, नंबर एक होना है। नंबर दो में बड़ी पीड़ा है। पंक्ति में पीछे खड़ा हूं, क्यू में, तो भारी दुख है। जितना पीछे हूं, उतनी पीड़ा है। नंबर एक होना है।अहंकार की खोज महत्वाकांक्षा की खोज है। और जब मुझे नंबर एक होना है, तो दूसरों को मुझे हटाना पड़ेगा; और दूसरों को मुझे रौंदना पड़ेगा; और दूसरों के सिरों का मुझे सीढ़ियों की तरह उपयोग करना पड़ेगा; और दूसरों के ऊपर, छाती पर चढ़कर मुझे आगे जाना पड़ेगा। ये सब रुग्ण चित के लक्षण है। सिंहासनों के रास्ते लोगों की लाशों से पटे हैं।तो अहंकार की तो खोज ही यही है कि मैं सफल हो जाऊं। तो आपको खयाल में नहीं है। जब आप पूछते हैं कि अगर मैं निर-अहंकारी हो जाऊं, तो क्या मैं सफल हो सकूंगा? इसका मतलब हुआ कि आप निर-अहंकारी भी सफल होने के लिए होना चाहते हैं! तो आप चूक गए बात ही। निर-अहंकारी होने का अर्थ यह है कि सफलता का मूल्य अब मेरा मूल्य नहीं है। मैं कहां खड़ा हूं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं पंक्ति में सबसे पीछे खड़ा हूं, तो भी उतना ही आनंदित हूं, जितना प्रथम खड़ा हो जाऊं।

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