स्वर्ण नियम



मैंने सुना है कि जीसस को मानने वाला एक भक्त एक गांव से गुजरा है। और किसी ने एक चांटा उसके चेहरे पर मार दिया। तो जीसस का वचन है कि जब कोई तुम्हारे बाएं गाल पर चांटा मारे तो दायां उसके सामने कर दो। उसने दायां गाल उसके सामने कर दिया। उस आदमी ने, जैसा कि उस बेचारे ने सोचा भी नहीं था, दाएं पर भी चांटा और करारा मारा। तब वह बड़ी मुश्किल में पड़ा, क्योंकि इसके आगे जीसस का कोई वक्तव्य नहीं है, कि अब वह क्या करे? तो उसने उठा कर एक हाथ करारा उस दुश्मन को मारा। उस आदमी ने कहा कि अरे, तुम तो जीसस को मानते हो! और जीसस ने तो कहा है कि जब कोई तुम्हारे एक गाल पर चांटा मारे तो दूसरा सामने कर दो! उसने कहा, लेकिन तीसरा कोई गाल नहीं है। और अब मैं छुट्टी लेता हूं जीसस से। क्योंकि दो गाल तक जीसस के साथ चला, तीसरा कोई गाल नहीं है। अब तीसरा गाल तुम्हारे पास है। मेरे दोनों गाल चुक गए, अब तुम्हारे गाल पर ही चांटा पड़ सकता है। एक वक्त है जब तीसरा गाल आ जाता है। उसमें कृष्ण नहीं चुक जाते। हमें ऐसा ही लगेगा, क्योंकि हम चुक जाते हैं जल्दी। उसमें कृष्ण नहीं चुक जाते। लेकिन सब चीजों की सीमाएं हैं और सीमाओं के आगे चीजों को सहे जाना खतरनाक है, अधर्म है। सीमाओं के आगे चीजों को सहे जाना बुराई को प्रोत्साहन है। अगर मैं सहिष्णु हूं, तो इसीलिए तो हूं न कि असहिष्णुता बुरी है। और तो कोई कारण नहीं है। सहिष्णु होने का यही तो अर्थ है कि असहिष्णुता बुरी है। लेकिन मैं तो बुरा होने से बच जाऊं और दूसरे को बुरा होते ही जाने दूं, यह दूसरे पर दया न हुई। यह दूसरे पर अति कठोरता हो गई। एक जगह दूसरे को भी बुरा होने से रोकना ही पड़ेगा। ऐसा मैं देखता हूं। 

कृष्ण के पूरे व्यक्तित्व को देख कर ऐसा लगता है कि उनका सहिष्णुता से चुकना बहुत मुश्किल है। लेकिन ऐसा भी लगता है कि बुराई को प्रोत्साहन देना उनके लिए असंभव है। इन दोनों के बीच कहीं उन्हें गोल्डन मीन खोजनी पड़ती है, कहीं उन्हें स्वर्ण-नियम खोजना पड़ता है जहां से आगे चीजें बदल जाती हैं।  जिंदगी में जिनको हम पोलेरिटीज में बांटते हैं, ध्रुव बना देते हैं, वे हमारे शब्दों और सिद्धांतों में ही सत्य हैं। जिंदगी के सीधे गहराई में कोई पोलेरिटीज सत्य नहीं है, सब पोलेरिटीज जुड़ी हुई हैं। वे हमारे शब्दों और सिद्धांतों में ही सत्य हैं। जिंदगी गहराई में अस्तित्व से जुड़ती है, प्राकृतिक है। इसलिए कृष्ण के लिए स्वर्ण-नियम खोजना मतलब शारीरिक शक्तिसे नहीं आत्मिक शक्तिसे खोजना जिससे पोलारिटिज मतलब ध्रुवीकरण स्पष्ट होता है। 

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