जगत की सृजन की जो प्रक्रिया है, उस प्रक्रिया में सदा से ही जिन्होंने खोज की है उन्होंने पाया कि वह प्रक्रिया तीन चीजों पर निर्भर है। वह थ्री फोल्ड है। अभी विज्ञान भी जब खोज किया अणु की, तो उसने पाया कि अणु भी बहुत गहरे में तोड़ने पर तीन चीजों में टूट जाता है। वह जो अंतिम हमारी उपलब्धि है विज्ञान की, वह भी कहती है, इलेक्ट्रान, प्रोटान और न्यूट्रान में अणु टूट जाता है। इसमें एक है विधायक शक्ति प्रोटोन मतलब पॉजिटिव विद्युत मतलब ब्रम्हा,जीवन दूसरा हे न्यूट्रॉन निषेधात्मक विद्युत, नेगेटिव मतलब शिव, मृत्यु और इनके बीच आया इलेक्ट्रॉन मतलब विष्णु मतलब जीवंत यानी जिंदगी जिनेका तरीका, एक भाषा विज्ञान की है दूसरी धर्म की बस इतना ही भेद है, जीन लोगों ने धर्म के जगत में बड़ी गहरी अंतर्दृष्टि पाई थी, उन्होंने भी जगत को तीन हिस्सों में तोड़ कर देखा था। विष्णु उन्हीं तीन के एक हिस्से हैं।
ब्रह्मा, विष्णु, महेश, ये तीन शब्द धर्म के द्वारा जगत की सृजन-प्रक्रिया के तीन हिस्सों के नाम हैं। और इन तीन के तीन अर्थ हैं। इसमें ब्रह्मा जन्मदाता, स्रष्टा, बनाने वाला, क्रिएटिव फोर्स है। इसमें शंकर, शिव--महेश--विध्वंस, प्रलय, विनाश, अंत की शक्ति है। विष्णु इन दोनों के बीच में है--संस्थापक, चलाने वाला। मृत्यु है, जन्म है और बीच में फैला हुआ जीवन है। जिसकी शुरुआत हुई है, उसका अंत होगा। और शुरुआत और अंत के बीच में एक यात्रा भी होगी। विष्णु ब्रह्मा और शिव के बीच की यात्रा हैं। ब्रह्मा की एक दफे जरूरत पड़ेगी सृजन के क्षण में। और शिव की एक बार जरूरत पड़ेगी विध्वंस के क्षण में। और विष्णु की जरूरत दोनों बिंदुओं के मध्य में है। सृजन और विध्वंस, और दोनों के बीच जीवन। जन्म और मृत्यु, और दोनों के बीच जीवन।
ये तीन जो नाम हैं, ब्रह्मा, विष्णु, महेश के, ये व्यक्तियों के नाम नहीं हैं। ये कोई व्यक्ति नहीं हैं, ये सिर्फ शक्तियों के नाम हैं। और जैसा मैंने कहा, सृजन की तो एक दिन जरूरत पड़ती है, फिर विध्वंस की एक दिन जरूरत पड़ती है, लेकिन बीच में जीवन की जो जरूरत है, वह जीवन की जो ऊर्जा है, लाइफ एनर्जी, या जिसको बर्गसन ने एलान वाइटल कहा है, वही विष्णु है। इसलिए इस देश के सभी अवतार विष्णु के अवतार हैं। असल में सभी अवतार विष्णु के ही होंगे। आप भी अवतार विष्णु के ही हैं। अवतरण ही विष्णु का होगा। जीवन का नाम विष्णु है। ऐसा न समझ लेना कि जो व्यक्ति राम था, वही व्यक्ति कृष्ण है। नहीं, जो ऊर्जा, जो एनर्जी, जो एलान वाइटल राम में प्रकट हुआ था, वही कृष्ण में प्रकट हुआ है, और वही आपमें भी प्रकट हो रहा है। और ऐसा नहीं है कि जो राम में प्रकट हुआ था वही रावण में प्रकट नहीं हो रहा हो। हो तो वही प्रकट रहा है। वह जरा भटके हुए विष्णु हैं, और कोई बात नहीं है। वह जरा रास्ते से उतर गई जीवन-ऊर्जा है, और कोई बात नहीं है। समस्त जीवन का नाम विष्णु है। समस्त अवतरण विष्णु का है। लेकिन भूल होती रही है, क्योंकि हम विष्णु को ही व्यक्ति बना लिए। राम एक व्यक्ति हैं, विष्णु व्यक्ति नहीं हैं। कृष्ण एक व्यक्ति हैं, विष्णु व्यक्ति नहीं हैं। विष्णु केवल शक्ति का नाम है। लेकिन पुरानी सारी अंतर्दृष्टियां काव्य में प्रकट हुईं। इसलिए स्वभावतः काव्य प्रत्येक शक्ति को व्यक्तिवाची बना लेता है। बनाएगा ही अन्यथा बात नहीं हो सकती। और उससे बड़ी पहेलियां पैदा हो जाती हैं।
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