इंद्रधनुष

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दूलन यह परिवार सब, नदी-नाव-संजोग।
उतरि परे जहं-तहं चले, सबै बटाऊ लोग।।
फूलों को मैंने खिलते और बिखरते दोनों देखा है,
कैसे कह दूं उपवन तेरा मधुमास बना रह पाएगा।

होते हैं जहां फूल लाखों पतझार वहीं पर आता है,
पतझार जहां डसता होता मधुमास वहीं मुस्काता है।
यह परिवर्तन की धूप-छांह जग जीवन का शाश्वत क्रम है,
केवल मुसकाने की उमंग सपनों में पलता विभ्रम है।

सपनों को मैंने बनते और टूटते दोनों देखा है,
कैसे कह दूं हर स्वप्न तुम्हारा पूरा ही हो जाएगा।

जिन नयनों में मधुस्वप्न भरे उनमें ही आंसू पलते हैं,
जिन अधरों से है तृप्ति सुखद वे ही तृष्णा में जलते हैं।
सपने तो रूठे नयनों से पर चुका न आंसू का सागर,
खारी जल बढ़ता रहा और फूटी केवल रीती गागर।

गागर को मैंने भरते और फूटते दोनों देखा है,
कैसे कह दूं यह कलश तुम्हारा सदा भरा रह पाएगा।

जो भी जन्मा इस धरती पर पैदा होते ही रोया है,
जागा जीवन भर रोते ही दो पल न चैन से सोया है।
सुख रूप और श्रृंगार सदा महका दो दिन फिर चला गया,
जिसने अभिमान किया निज पर वह अहं स्वयं से छला गया।

सूरज को मैंने चढ़ते और उतरते दोनों देखा है,
कैसे कह दूं अभिमान तुम्हारा तुम्हें अमर कर पाएगा

इंद्रधनुष सा संसार है यह। दीखता खूब प्यारा, हाथ कुछ भी नहीं लगता। इंद्रधनुषों पर मुट्ठी बांधी, हाथ कुछ भी नहीं लगता। शायद हाथ थोड़ा भीग जाए क्योंकि इंद्रधनुष कुछ भी नहीं है, हवा में लटकी हुई पानी की छोटी-छोटी बूंदें; जिनसे सूरज की किरणें गुजर गईं और जाल रच गईं रंगों का।
मरते वक्त हाथ गीला भी नहीं होता; इंद्रधनुष में तो हाथ गीला भी हो जाएगा। मरते वक्त हाथ बिलकुल खाली और बिलकुल रूखा होता है। कितने इंद्रधनुष पकड़े, कितने इंद्रधनुषों के पीछे दौड़े! छोटे बच्चे ही तितलियों के पीछे नहीं दौड़ रहे हैं, बूढ़े भी तितलियों के पीछे दौड़ रहे हैं। छोटे बच्चों और बूढ़ों में कोई भेद नहीं है। छोटे बच्चे भी खिलौनों में उलझे हैं, बूढ़े भी खिलौनों में उलझे हैं। खिलौने किन्हीं के छोटे हैं, किन्हीं के बड़े हैं, बस इतना ही भेद है। छोटे बच्चे भी उसी अहंकार की यात्रा पर हैं जिस पर बूढ़े भी। छोटे बच्चे क्षमा किए जा सकते हैं, उनका अनुभव क्या! मगर बूढ़े जो मौत के कगार पर आ गए, जिनका एक पैर कब्र में है, वे भी अभी आपा-धापी में लगे हैं--और थोड़ा छीन लें और थोड़े बड़े पद पर हो जाएं और थोड़ी प्रतिष्ठा और थोड़ा यश मिल जाए और थोड़ा नाम हो जाए और थोड़ी अकड़ रह जाए। थोड़ा सोचना। थोड़ा विचारना। दौड़ने के पहले थोड़े ठिठकना।

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