प्रभु के लिए पागल हो - ओशो

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प्रिय आनंद मधु, 

    प्रेम। 

            समय पक गया है। अवसर रोज निकट आता जाता है। अनंत आत्माए विकल हैं। उनके लिए मार्ग बनाना है। इसलिए, शीघ्रता करो। श्रम करो। स्वयं को विस्मरण करो प्रभु के लिए पागल होकर काम में लग जाओ। पागल होने से कम में नहीं चलेगा। आह! लेकिन, प्रभु के लिए पागल होने से बड़ी कोई प्रज्ञा भी तो नहीं है। 



रजनीश के प्रणाम
२६-११-१९७० प्रति : मा आनंद मधु, विश्वनीड़, संस्कार तीर्थ, आजोल, गुजरात



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