धर्म अतर्कपूर्ण है

 




मैंने अमेरिका में हुए एक रोचक प्रसंग के बारे में सुना है- उन लोगों ने महिलाओं के लिए अदृश्य बालों के पिनों का आविष्कार किया। एक महिला सुपरमार्केट में उनकी खरीद कर रही थी और सेल्समैन ने उसे अदृश्य बालों में लगाए जाने वाले क्लिपों का एक पैकेट दिया। उसने डिब्बे में झांककर देखा, उसे वहां कुछ भी नहीं दिखाई दिया। वास्तव में वे तो अदृश्य पिन थे, इसलिए तुम उन्हें कैसे देख सकते थे? और उसने कहा: लेकिन मैं तो इसके अन्दर कोई भी चीज नहीं देख रही हूं। सेल्समैन ने कहा: वे अदृश्य हैं, आप उन्हें कैसे देख सकती हैं? उस महिला ने पूछा: क्या वास्तव में वे अदृश्य हैं? उस व्यक्ति ने उत्तर दिया: आप मुझसे पूछ रही हैं? सात दिनों से इनका स्टॉक समाप्त हो गया है, लेकिन हम उन्हें फिर भी बेच रहे हैं। वे पूरी तरह अदृश्य हैं। जब चीजें अदृश्य हैं, तुम उन्हें बेचे चले जा सकते हो। वायदे किए जा सकते हो। वस्तुओं को हस्तांतरित करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है, क्योंकि पहली बात तो यह कि वे अदृश्य हैं, इसलिए कोई भी उन्हें कभी भी खोज नहीं सकता। और तुम धर्म से अच्छा कोई दूसरा धंधा नहीं खोज सकते, क्योंकि वस्तुएं अदृश्य हैं। मैंने बहुत से लोगों को धोखा खाते हुए देखा है, बहुतों को धोखा देते हुए देखा है। और यह चीज इतनी अधिक सूक्ष्म है कि इसके पक्ष अथवा विपक्ष में कुछ भी नहीं कहा जा सकता। उदाहरण के लिए मैं एक ऐसे व्यक्ति को जानता हूं जो सीधा-सादा बेवकूफ व्यक्ति है। लेकिन मूर्खता के भी अपने गुण और लाभ होते हैं, विशेष रूप से धर्म में। एक मूर्ख व्यक्ति भी परमहंस जैसा दिखाई देता है। क्योंकि वह मूर्ख है, इसलिए उसका व्यवहार आशा के विपरीत होता है, ठीक बोध को उपलब्ध एक व्यक्ति की भांति, यह समानता उसमें है। क्योंकि वह छू है, इसलिए वह बुद्धत्व को उपलब्ध व्यक्ति की भांति एक भी तर्कपूर्ण वक्तव्य नहीं दे सकता। वह मूढ़ है, इसलिए वह नहीं जानता कि वह क्या कह रहा है, और किस तरह का व्यवहार कर रहा है। अचानक वह कोई भी चीज कर सकता है। और उसका अचानक कुछ करना ही ऐसा लगता है, जैसे मानो वह दूसरे संसार का व्यक्ति हो। उसे मिरगी के दौरे पड़ते हैं, लेकिन लोग सोचते हैं कि वह समाधि में जा रहा है। उसे बिजली के झटके देने वाले उपचार की जरूरत है। अचानक उस पर दौरा पड़ेगा और वह बेहोश हो जाएगा,और उसके अनुयायी ढोल बजाकर परमात्मा की महिमा के गीत गाने लगेंगे, और घोषणा करेंगे: उनका गुरु समाधि में चला गया है, वह परमानंद में है। उसका मुंह झागों से भर जाएगा और लार मुंह से बाहर गिरने लगेगी-वह सिर्फ मिरगी के दौरे में होता है, उसके पास न बुद्धि है और न समझ। लेकिन यही उसका गुण है, और उसके चारों ओर धोखेबाज लोग इकट्ठे हो गए हैं-जो बाबा के बारे में तरह-तरह की झूठी बातें फैलाते रहते हैं। और उसके निकट बहुत सी चीजें घटती हैं: यह एक चमत्कार है। बहुत सी चीजें घटती हैं, क्योंकि बहुत सी चीजें यहां अपने आप घट रही हैं। बाबा बेहोशी के दौरे में पड़ा है, और बहुत से लोग अनुभव कर रहे हैं कि उनकी कुण्डलिनी जाग रही है। वे उसका प्रक्षेपण कर रहे हैं। यदि तुम एक लम्बी अवधि तक शांत-थिर बैठे रहो, तो एक विशिष्ट घटना यह घटती है, कि शरीर में ऊर्जा इकट्ठी हो जाती है और तब शरीर बेचैनी का अनुभव कर हिलना-कंपना या डोलना शुरू हो जाता है। अचानक झटके से आने लगते हैं और वे सोचते हैं कि कुंडलिनी जाग रही है। और जब एक व्यक्ति में कुंडलिनी जाग रही है, तो तुम पीछे क्यों रह जाओ? तब दूसरे भी वैसा करना शुरू कर देते हैं। पूरब में ऐसा मैंने निरीक्षण किया है कि प्रामाणिक व्यक्ति केवल एक होता है,और निन्यानवे लोग नकली होते हैं। या तो वे स्वयं को धोखा देने वाले साधारण दीन-हीन व्यक्ति हैं: अथवा वे धोखेबाज, बेईमान और चालाक लोग हैं। ऐसा चलते चला जा सकता है, क्योंकि पूरी चीज अदृश्य है। आखिर किया क्या जाए? निर्णय कैसे किया जाए? तय कैसे किया जाए? धर्म हमेंशा ही खतरनाक रहा है। वह खतरनाक है। क्योंकि यह हिस्सा बहुत रहस्यमय और अतर्कपूर्ण है। कोई भी चीज हो जाती है, और बाहर से उसे परखने का कोई उपाय नहीं है। और यहां कमजोर मनों वाले लोग पहले ही तैयार बैठे हैं,जो किसी भी चीज पर विश्वास कर लेते हैं। क्योंकि वे अपने पैरों के नीचे सहारे के लिए स्थान तलाश रहे हैं बिना विश्वास के वे अपने को जड़ों से उखड़े हुए अथवा बिना लंगर वाली नाव सा डोलता हुआ अनुभव करते हैं, उन्हें किसी भी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है, जिस पर वे विश्वास कर सके। 

 ऋतु आये फल होय 

 ओशो