पूर्ण संवेदनशीलता

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अनासक्ति का अर्थ, एक के पक्ष में दूसरे के प्रति आसक्ति नहीं, शुभ के पक्ष में अशुभ की आसक्ति नहीं, अशुभ के पक्ष में या विपक्ष में शुभ की आसक्ति नहीं आसक्ति ही नहीं। चुनाव ही नहीं। और जीवन जैसा है, इस समग्र जीवन की पूर्ण स्वीकृति और इस समग्र जीवन के प्रति स्वयं का पूर्ण समापन, पूर्ण समर्पण। अनासक्ति का अर्थ यह है कि मैं अलग हूं ही नहीं, एक ही हूं इस जगत से। कौन चुने? किसको चुने? जगत जैसा करवा रहा है वैसा मैं लहर की तरह सागर में बहा जा रहा हूं। मैं अलग हूं ही नहीं ।सेंसिटिविटी मार डाली जाए, तो व्यक्ति दुख-सुख में अनुद्विग्न हो जाएगा, स्थितप्रज्ञ हो जाएगा। जब मुझे किसी से प्रेम होता है तो ऐसा नहीं होता है कि मुझे किसी से प्रेम है, बल्कि ऐसा होता है कि मैं किसी के प्रति प्रेम हूं। मैं पूरा ही प्रेम होता हूं। मेरे पार कुछ बच ही नहीं रहता जो कि प्रेम न हो। और अगर मेरे पार इतना भी कोई बच रहता है जो कहने को भी हो कि मुझे उससे प्रेम हो गया है, तो मैं पूरा प्रेम में नहीं चला गया हूं। और जो पूरा प्रेम में नहीं चला गया है, वह प्रेम में गया ही नहीं है, वह जा ही नहीं सकता। जब हम पर सुख आते हैं, दुख आते हैं, तब हम पूरे उनमें नहीं हो जाते हैं। अगर हम पूरे हो जाएं और उसके बाहर हमारे भीतर कुछ भी न बचे, तो कौन कहेगा? कौन उद्विग्न होगा? कौन पीड़ित होगा? मैं दुख ही हो जाऊं। तो संवेदनशीलता तो पूर्ण होगी, अपनी पूरी त्वरा में, अपनी पूरी चरमता में होगी।क्योंकि मेरी पुलक-पुलक दुख से भर जाएगी, मेरा रोआं-रोआं दुख से भर जाएगा; मेरी आंख, मेरी श्र्वास, मेरा अस्तित्व दुख हो जाएगा। लेकिन तब उद्विग्न होने को कोई नहीं बचेगा। मैं दुख ही हूं, उद्विग्न कौन होगा? ऐसे ही जब सुख आए तो मैं पूरा सुख हो जाऊं, तो उद्विग्न कौन होगा? मैं सुख ही हो जाऊंगा। तब दुख भी मित्र मालूम होगा और सुख भी मित्र मालूम होगा। तब अंत के। पर जब हम दुख-सुख में अनुद्विग्न हो जाए, स्थितप्रज्ञ हो जाए तब जीवन के अंतिम क्षण में विदा होते वक्त आप अपने सुखों को भी धन्यवाद दे सकेंगे, अपने दुखों को भी धन्यवाद दे सकेंगे, क्योंकि दोनों ने मिल कर आपको बनाया। यह जो दृष्टि है, यह एंटी सेंसिटिविटी की नहीं है, यह संवेदनशीलता के विपरीत नहीं है, बल्कि पूर्ण संवेदनशीलता की उपलब्धि की है। लाओत्से कहता है, सीक एंड यू विल नॉट फाइंड। खोजो और तुम न पा सकोगे। डू नॉट सीक एंड फाइंड। मत खोजो और पाओ। बिकाज ही इ़ज हियर एंड नाउ। वह अभी और यहीं है।

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