किनारा
इस संसार में कठिनाइयां हैं, इस संसार में विपदाएं हैं, इस संसार में हजार तरह की जंजीरें हैं, लेकिन अगर तुम थोड़े अलिप्त होने लगो, तो अपूर्व रूपांतरण शुरू होता है। राह के पत्थर सीढ़ियां बन जाते हैं। आंधियां चुनौतियां बन जाती हैं। बीमारियां ही स्वास्थ्य तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां बन जाती हैं। सब तुम पर निर्भर है। कुछ लोगों को तूफां में किनारे भी मिले हैं। ऐसे लोग भी हैं, जिन्होंने तूफान को किनारा बना लिया है। और ऐसे अभागे लोग भी हैं, जो किनारे पर बैठे-बैठे डूब भी गए हैं; जिनके लिए किनारा ही तूफान हो गया है। सब तुम पर निर्भर है।
जीने के अगर चंद सहारे भी मिले हैं
तो जान से जाने के इशारे भी मिले हैं
हरचंद रहे इश्क के गम सख्त हैं लेकिन
इस राह के कुछ गम हमें प्यारे भी मिले हैं
कुछ अपनी वफाओं से उम्मीद थी हमको
कुछ उनकी निगाहों के सहारे भी मिले हैं
ऐ राहखे-राहे-जुनूं, भूल न जाना
इस राह में जी जान से हारे भी मिले हैं
इल्जामे-तगाफुल हमें तस्लीम है लेकिन
बदले हुए अंदाज तुम्हारे भी मिले हैं
क्या कीजिए तदबीर से हारा नहीं जाता
गो, राह में तकदीर के मारे भी मिले हैं,
तूफां में सभी डूब तो जाते नहीं ‘अख्गर’
कुछ लोगों को तूफां में किनारे भी मिले हैं।
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