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रामकृष्ण की पत्नी शारदा मां
विवेकानंद हिंदुस्तान से अमरीका जाते थे। तो उन्होंने शारदा मां को जाकर आशीर्वाद मांगा और कहा कि मैं अमरीका जाता हूं। तो रामकृष्ण की पत्नी शारदा मां ने कहा कि--रामकृष्ण तो नहीं रहे थे, शारदा ही रह गई थी, उससे ही पूछा जा सकता था--शारदा ने कहा कि क्या करोगे अमरीका जाकर? तो उन्होंने कहा कि मैं धर्म का संदेश ले जाऊंगा। तो शारदा चौके में अपना काम करती थी, उसने कहा, वह छुरी पड़ी है सब्जी काटने की, वह उठा कर मुझे दे दो। विवेकानंद ने वह छुरी उठाई और शारदा को दी। शारदा ने कहा, जाओ, मेरा आशीर्वाद है। लेकिन विवेकानंद ने कहा कि छुरी उठाने से इसका क्या संबंध? शारदा ने कहा, मैं देखती थी कि छुरी उठा कर तुम कैसे मुझे देते हो। हममें से किसी ने भी उठा कर दी होती तो डंडी खुद पकड़ी होती, फलक शारदा की तरफ किया होता। विवेकानंद ने फलक खुद पकड़ा और डंडी शारदा की तरफ की। तो शारदा ने कहा, मैं सोचती हूं कि तुमसे धर्म का संदेश जा सकता है।
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